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मरना होगा / केदारनाथ अग्रवाल

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मरना होगा
इस होने को तो होना है
लेकिन
तब तक
इस जीने को तो जीना है

जीते-जीते
हर संकट से
डटकर क्षण-क्षण
तो लड़ना है

लड़ते-लड़ते
आगे-आगे
बढ़ते-बढ़ते
ही बढ़ना है

अनगढ़ दुनिया को हाथों से
सोच-समझकर
ही गढ़ना है।

रचनाकाल: ०१-०२-१९९१