जहाने नौ / मख़दूम मोहिउद्दीन
नग़मे शरर फ़िशाँ<ref>चिंगारियाँ बिखेरने वाला</ref> हूँ उठा आतिशे रबाब<ref>अग्निमय रबाब (एक साज़)</ref>
मिज़राब<ref>रबाब बजाने का उँगली में पहना जाने वाला अंगुश्ता</ref>-ए-बेख़ुदी से बजा साज़े इन्कि़लाब
मैमारे अहमदे नौ<ref>नवयुग का निर्माण</ref> हो तेरा दस्ते-पुरशबाब<ref>सौन्दर्य से भरपूर हाथ</ref>
बातिल<ref>असत्य, झूठ</ref> की गरदनों पे चमक जुल्फ़कार<ref>हज़रत अली की तलवार जो बद्र के युद्ध में उन्हें रसूल ने प्रदान की थी</ref> बन ।
ऐसा जहान जिसका अछूता निज़ाम<ref>प्रबंध, व्यवस्था</ref> हो,
ऐसा जहान जिसका अखूव्वत<ref>प्यार</ref> पयाम<ref>समाचार</ref> हो
ऐसा जहान जिसकी नई सुबहो शाम हो
ऐसे जहाने नौ का तू परवरदिगार<ref>ख़ुदा, प्रभु, ईश्वर</ref> बन ।
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