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ये मैं हूं / राजेश चड्ढ़ा

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मेरे दोस्त-
ये मैं हूं ।
मेरे
पैरों के नीचे
कभी-कभी,
ज़मीन नहीं
बर्फ़ रहती है ।
मुझ में भी
नदी बहती है,
बर्फ़ की एक परत
उस पर भी
जमी रहती है ।
लेकिन-
इन सब के
बावजूद,
मेरे और बर्फ़
के भीतर-
नमी रहती है ।
मेरे दोस्त-
ये मैं हूं ।