भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐसा समय / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
Lina niaj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 14:12, 12 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
रचनाकार: मंगलेश डबराल
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
जिन्हें दिखता नहीं
उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझता
जो लँगड़े हैं वे कहीं नहीं पहुँच पाते
जो बहरे हैं वे जीवन की आहट नहीं सुन पाते
बेघर कोई घर नहीं बनाते
जो पागल हैं वे जान नहीं पाते
कि उन्हें क्या चाहिए
यह ऎसा समय है
जब कोई हो जा सकता है अंधा लँगड़ा
बहरा बेघर पागल ।
(1992)