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शिव स्तुति/ तुलसीदास
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शिव-स्तुति
३
को जाँचिये संभु तजि आन.
दीनदयालु भगत-आरति-हर, सब प्रकार समरथ भगवान..१..
कालकूट-जुर जरत सुरासुर, निज पन लागि किये बिष पान.
दारुन दनुज. जगत-दुखदायक, मारेउ त्रिपुर एक ही बान..२..
जो गति अगम महामुनि दुर्लभ, कहत संत, श्रुति, सकल पुरान.
सो गति मरन-काल अपने पुर, देत सदासिव सबहिं समान..३..
सेवत सुलभ, उदार कलपतरु, पारबती-पति परम सुजान.
देहु काम-रिपु राम-चरन-रति, तुलसिदास कहँ क्रिपानिधान..४..