भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कविता को फांसी / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:04, 6 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कविता ने किया विरोध
अन्याय का, भ्रष्टाचार का
अपसंस्कृति का, शोषण का
एटम के परीक्षण का
तब कविता के बैरियों ने
एकत्र हो कर
दे दी अर्जी कचहरी में
हाकीम मे भिजवाया- समन कविता को
कचहरी में राजाज्ञा रखने
तारीख पर कविता हुई हाजिर
पेशकार ने सुनाएं आरोप
कहा कविता को
अपना बयान देने के लिए
कविता ने कहा-
सारे आरोप सही हैं
दी जाए सजा
हाकीम ने दिया फैसला-
कविता को फांसी दी जाए ।


अनुवाद : नीरज दइया