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फ़िरंगी का दरबान / हबीब जालिब

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फ़िरंगी का जो मैं दरबान होता
तो जीना किस क़दर आसान होता

मेरे बच्चे भी अमरीका में पढ़ते
मैं हर गर्मी में इंग्लिस्तान होता

मेरी इंग्लिश बला की चुस्त होती
बला से जो न उर्दू दान होता

झुका के सर को हो जाता जो ‘सर’ मैं
तो लीडर भी अज़ीमुश्शान होता

ज़मीनें मेरी हर सूबें में होतीं
मैं वल्लह सदेर पाकिस्तान होता