Last modified on 28 फ़रवरी 2011, at 13:15

तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह

तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में

तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में

नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आँधी में

जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊँगी

मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊँगी !