भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिन बहुत सारे (कविता) / कुँअर बेचैन

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:40, 30 दिसम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी का अर्थ
मरना हो गया है
और जीने के लिये हैं
दिन बहुत सारे ।

इस
समय की मेज़ पर
रक्खी हुई
जिंदगी है 'पिन-कुशन' जैसी
दोस्ती का अर्थ
चुभना हो गया है
और चुभने के लिए हैं
पिन बहुत सारे।

निम्न-मध्यमवर्ग के
परिवार की
अल्पमासिक आय-सी
है जिंदगी
वेतनों का अर्थ
चुकना हो गया है
और चुकने के लिए हैं
ऋण बहुत सारे।
-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।