Last modified on 28 मार्च 2011, at 22:35

ग़रीबी / रघुवीर सहाय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:35, 28 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय |संग्रह =एक समय था / रघुवीर सहाय }} {{KKCatK…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम ग़रीबी हटाने चले
और उस समाज में जहाँ आज भी दरिद्र होना दीनता नहीं
भारतीयता की पहचान है,
 
दासता विरोध है दमन का प्रतिकार है

हम ग़रीबी हटाने चले
हम यानी ग़रीबों से नफ़रत हिकारत परहेज़ करनेवाले

हम गरीबी हटाते हैं तो ग़रीब का आत्म सम्मान लिया करते हैं

इसलिए मैं तो इस तरह ग़रीबी हटाने की नीति के विरूद्ध हूँ
क्योंकि वही तो कभी-कभी अपने सम्मान की अकेली
रचना रह जाती है ।