Last modified on 14 नवम्बर 2008, at 20:07

मृत्यु / अष्टभुजा शुक्ल

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:07, 14 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अष्‍टभुजा शुक्‍ल }} कराह सुनकर जो न टूटे नींद न...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कराह सुनकर

जो न टूटे

नींद नहीं,

मृत्यु है


चाहे जितना थका हो आदमी

और चाहे जब सोया हो ।