हे मेरी तुम !
बिना तुम्हारे--
जलता तो है
दीपक मेरा
लेकिन ऎसे
जैसे आँसू
की यमुना पर
छोटा-सा
खद्योत
टिमकता,
क्षण में जलता
क्षण में बुझता ।
हे मेरी तुम !
बिना तुम्हारे--
जलता तो है
दीपक मेरा
लेकिन ऎसे
जैसे आँसू
की यमुना पर
छोटा-सा
खद्योत
टिमकता,
क्षण में जलता
क्षण में बुझता ।