भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

संगीत के रहते / असद ज़ैदी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:09, 21 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असद ज़ैदी }} यह आदमी अपनी पसंद के संगीत में रास्ते पर आ ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


यह आदमी अपनी पसंद के संगीत में

रास्ते पर आ जाएगा, देखता हुआ


बाक़ाइदगी से माँ को ख़त लिखेगा, ढिबरी जलाकर

जंगल से


यह आदमी रोएगा नहीं जब जिस्म में ख़ून की बहुत कमी होगी

थकान क़ाइदा बन जाएगी रोज़ का तब यह नहीं थकेगा


अख़ीर में इसको भी अहसास हो जाएगा

कि देखो, हारी हुई लड़ाईयाँ कितने काम आती हैं ।