भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पिता ने कहा-1 / गगन गिल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:04, 13 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = गगन गिल |संग्रह=अँधेरे में बुद्ध / गगन गिल }} {{KKCatKavit…)
पिता ने कहा
मैंने तुझे अभी तक
विदा नहीं किया
तू मेरे भीतर है
शोक की जगह पर
1990