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कैसे कटी जिनगी हमार / भोजपुरी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कइसे कटी जिनगी हमार

दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे

दिहल..अ...

कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..

चारों तरफ भईंल अन्हार

हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...