भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रतिनिधि / गोपालशरण सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:33, 4 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालशरण सिंह }} {{KKCatNavgeet}} <poem> देव !तुम्हारे पास । दि…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देव !तुम्हारे पास ।
दिन दुखी जन का प्रतिनिधि बन,
आया था यह दास ।

लाया था उपहार रूप में,
केवल दुःख निःश्वास ।
पर आशा भी रही चित्त में
और रहा विश्वास ।

किन्तु तुम्हारी दशा देखकर,
मन हो गया हताश ।
जग की व्यथा-कथा सुनने का
तुम्हें नहीं अवकाश ।

('ज्योतिष्मती' काव्य-संग्रह से)