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यों उड़ा है नशा जवानी का / गुलाब खंडेलवाल
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यों उड़ा है नशा जवानी का
जैसे बालू पे हर्फ़ पानी का
खून से अपने लिख गए हैं जवाब
हम उन आँखों की बेज़बानी का
रात आया था लटें खोले कोई
फूल महका था रातरानी का
कही ऐसा न हो, मिलें जब आप
कहनेवाला हो चुप कहानी का!
रंग देखें गुलाब के भी आज
जिनको दावा है बागवानी का