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नैनीताल / बल्ली सिंह चीमा

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अब यहाँ पल में वहाँ कब किस पे बरसें क्या ख़बर,
बदलियाँ भी हैं फ़रेबी यार नैनीताल की !

लोग रोनी सूरतें लेकर यहाँ आते नहीं,
रूठना भी है मना वादी में नैनीताल की !

अर्द्धनंगे ज़िस्म हैं या रंग-बिरंगी तितलियाँ,
पूछती है आप ही से 'माल' नैनीताल की !

ताल तल्ली हो कि मल्ली चहकती है हर जगह,
मुस्कराती और लजाती शाम नैनीताल की !

चमचमाती रोशनी में रात थी नंगे बदन,
झिलमिलाती, गुनगुनाती झील नैनीताल की !

खूबसूरत जेब हो तो हर नगर सुन्दर लगे,
जेब खाली हो तो ना कर बात नैनीताल की  !