भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तृप्तिबोध / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 19 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> तृप्तिबोध तू...)
तृप्तिबोध
तूने दिया
तूने बताया मैने पीया हलाहल
अब बच नहीं पाऊंगा
.....
तुझे क्या पता
तेरा यही रूप देखने
जी रहा था मैं
हाँ, अतृप्त