भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इच्छा / मधु शर्मा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:58, 10 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु शर्मा |संग्रह=जहाँ रात गिरती है }} मैंने हवाओं के छ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने

हवाओं के छोर से

बाँध दिया

इच्छाओं का दामन


देखती हूँ

वे कहाँ तक जाती हैं ।