Last modified on 18 अक्टूबर 2011, at 11:51

कुछ छोटी कविताएँ / महमूद दरवेश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:51, 18 अक्टूबर 2011 का अवतरण ('अगर लौट सकूं शुरूआत तक कुछ कम अक्षर चुनूंगा अपने नाम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अगर लौट सकूं शुरूआत तक कुछ कम अक्षर चुनूंगा अपने नाम के लिए

 :: ::

अगर जैतून के तेल जानते होते उन हाथों को जिन्होनें रोपा था उन्हें, आंसुओं में बदल गया होता उनका तेल

 :: ::

आसमान पीला क्यूं पड़ जाता है शाम को ? क्यूंकि तुमने पानी नहीं दिया था फूलों में.

 :: ::

मैं भूल गया बड़ी घटनाएं और एक विनाशकारी भूकंप याद है मुझे आलमारी में रखी अपने पिता की तम्बाकू.

 :: ::

इतना छोटा नहीं हूँ कि बहा ले जाएं मुझे शब्द इतना छोटा नहीं हूँ कि पूरी कर सकूं यह कविता.