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चल ततइया ! / कुँअर बेचैन

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कुछ काले कोट कचहरी के ।

ये उतरें रोज़ अखाड़े में
सिर से भी ऊँचे भाड़े में
पूरे हैं नंगे झाड़े में

ये कंठ-लंगोट कचहरी के ।

बैठे रहते मौनी साधे
गद्दी पै कानूनी पाधे
पूरे में से उनके आधे-

हैं आधे नोट कचहरी के ।

छलनी कर देते आँतों को
अच्छे-अच्छों के दाँतों को
तोड़े सब रिश्ते-नातों को

ये हैं अखरोट कचहरी के ।