कुछ काले कोट कचहरी के ।
ये उतरें रोज़ अखाड़े में
सिर से भी ऊँचे भाड़े में
पूरे हैं नंगे झाड़े में
ये कंठ-लंगोट कचहरी के ।
बैठे रहते मौनी साधे
गद्दी पै कानूनी पाधे
पूरे में से उनके आधे-
हैं आधे नोट कचहरी के ।
छलनी कर देते आँतों को
अच्छे-अच्छों के दाँतों को
तोड़े सब रिश्ते-नातों को
ये हैं अखरोट कचहरी के ।