भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन विरह का जलजात / महादेवी वर्मा

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:42, 21 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यश मालवीय }} विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात! वेदना म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात!


वेदना में जन्म करुणा में मिला आवास

अश्रु चुनता दिवस इसका; अश्रु गिनती रात;

जीवन विरह का जलजात!


आँसुओं का कोष उर, दृग अश्रु की टकसाल,

तरल जल-कण से बने घन-सा क्षणिक मृदुगात;

जीवन विरह का जलजात!


अश्रु से मधुकण लुटाता आ यहाँ मधुमास,

अश्रु ही की हाट बन आती करुण बरसात;

जीवन विरह का जलजात!


काल इसको दे गया पल-आँसुओं का हार

पूछता इसकी कथा निश्वास ही में वात;

जीवन विरह का जलजात!


जो तुम्हारा हो सके लीला-कमल यह आज,

खिल उठे निरुपम तुम्हारी देख स्मित का प्रात;

जीवन विरह का जलजात!