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यादें-1 / सुधा गुप्ता

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यादें-एक / सुधा गुप्ता
डॉ सुधा गुप्ता
1
फरफराती
मन की अलगनी
स्मृति -चिप्पियाँ
2
उमड़े मेघा
किरकिराया मन
बह चलीं आँखें ।
3
सावन-रात
झिल्ली बोलती , फिर
खुलते ज़ख़्म ।
4
भीगा कम्बल
यादों का , ओढ़े बने
न ही उतारे ।
5
किसी की याद
बाँस-वन जुगनू
टिमक गया ।
6
गीली रेत में
बिछलती फिरतीं
अन्धी सुधियाँ
7
यादों के छौने
मन की डगर से
छलाँग भरें ।
8
किसी की याद
फिर फड़फड़ाई
छाती में फ़ाख़्ता ।
9
यादों के फूल
आँखें छिड़कें पानी
महक उठे ।
10
कूकी जो पिकी
एक हिलोर उठी
हिचकी बँधी ।
11
भूलता नहीं
एक सूखा गुलाब
बन्द किताब ।
12
बेचैन यादें
गर्मियों की घमौरी
बड़ा सतातीं ।
13
भटक गई
यादों के बीहड़ में
वहीं बसी हूँ ।
14
ये सूनापन
यादों की रिमझिम
भीगा है मन ।
15
जाले बुनतीं
यादों की मकड़ियाँ
नहीं थकतीं ।
16
बीतते दिन
भरते नहीं घाव
चीसती यादें ।
17
यादों की लोई
खूँटी पे टँगे- टँगे
कीड़े -कुतरी ।
18
भटकी यादें
मन की पगडण्डी
ठिठकी खड़ी ।
19
चीसती चोट
यादों की पुरवा में
बड़ी पुरानी ।
20
तेल न बाती
फिर-फिर रौशन
यादों के दीये ।
21
शैशव -स्मृति
गुलाब की पाँखुरी
ओस का मोती ।
22
याद चिरैया
मन की अटारी पे
तिनके जोड़े ।
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