भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दु:ख / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दु:ख

1

दु:ख हर मौसम में होते हैं
मौसम के बदलने से
दु:ख नहीं बदलते
बदलने का
सिर्फ अहसास होता है
1986

2

दु:ख हर मौसम में होते हैं
मौसम के बदलने पर
दु:ख भी बदल जाते हैं

जैसा होता है मौसम
वैसे होजाते हैं दु:ख
हर मौसम के
अपने ही दु:ख होते हैं
2005