भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तस्लीमा नसरीन / परिचय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तसलीमा नसरीन

एक बांग्लादेशी लेखिका हैं जो नारीवाद से संबंधित विषयों पर अपनी प्रगतिशील विचारों के लिये चर्चित और विवादित रही हैं। बांग्लादेश में उनपर जारी फ़तवे की वजह से आजकल वे कोलकाता में निर्वासन की ज़िंदगी बिता रही हैं। हालांकि कोलकाता में विरोध के बाद उन्हें कुछ समय के लिये दिल्ली और उसके बाद फिर स्वीडन में भी समय बिताना पड़ा है लेकिन इसके बाद जनवरी २०१० में वे भारत लौट आईं। उन्होंने भारत में स्थाई नागरिकता के लिये आवेदन किया है लेकिन भारत सरकार की ओर से उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। स्त्री के स्वाभिमान और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए तसलीमा नसरीन ने बहुत कुछ खोया। अपना भरापूरा परिवार, दाम्पत्य, नौकरी सब दांव पर लगा दिया। उसकी पराकाष्ठा थी देश निकाला।

जीवनी

तसलीमा का जन्म २५ अगस्त सन १९६२ को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के मयमनसिंह शहर में में हुआ था। उन्होने मयमन्सिंह मेडिकल कॉलेज से १९८६ में चिकित्सा स्नातक की डिग्री प्राप्त की करने के बाद सरकारी डॉक्टर के रूप में कार्य आरम्भ किया जिस पर वे १९९४ तक थीं। जब वह स्कूल में थीं तभी से ही कविताएं लिखना आरम्भ कर दिया था।

कृतियाँ

उपन्यास

  • लज्जा
  • अपरपक्ष (उच्चारण : ओपोरपोक्ख)
  • निमंत्रण (उच्चारण : निमोन्त्रोन)
  • फेरा

आत्मकथा

  • आमार मेयेबेला
  • द्विखण्डित (उच्चारण : द्विखंडितो)
  • सेई सब अंधकार ( उच्चारण : सेई सोब अंधोकार)
  • अमी भालो नेई, तुमी भालो थेको प्रियो देश

कविता

  • निर्बासितो बाहिरे ओन्तोरे
  • निर्बासितो नारीर कोबिता
  • खाली खाली लागे
  • बन्दिनी ( उच्चारण : बोन्दिनी)

निबन्ध संग्रह

  • नष्ट मेयेर नष्ट गद्य ( नोस्टो मेयेर नोस्टो गोद्दो )
  • छोटो च्होटो दुखो कोथा
  • नारीर कोनो देश नेई