कल यहाँ विस्फ़ोट होगा
प्रकृति के अन्तिम रहस्य का
कल परिचय देगा मानव फिर
अपने खोखले कुँवारेपन और बर्बरता का ।
समझ लो यह शहर की अन्तिम सांझ है
फिर भी न जाने क्यों सब चुप और शान्त हैं
ठोढ़ी छुपाए, कंधे झुकाए, भीड़ की हर इकाई
कल यहाँ विस्फ़ोट होगा
प्रकृति के अन्तिम रहस्य का
कल परिचय देगा मानव फिर
अपने खोखले कुँवारेपन और बर्बरता का ।
समझ लो यह शहर की अन्तिम सांझ है
फिर भी न जाने क्यों सब चुप और शान्त हैं
ठोढ़ी छुपाए, कंधे झुकाए, भीड़ की हर इकाई