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उत्सव / रघुवंश मणि
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ख़ूब कविताएँ पढ़ी गईं
लोगों ने पीटी ख़ूब तालियाँ
ख़ूब हुई वाह-वाह
हूट औ' हिट हुई कविताएँ
इतनी ज़ोर-शोर से
उत्साहपूर्वक पढ़ी गईं कविताएँ
शब्द ही शब्द फैले आकाश पर
कुछ कविताएँ बम की तरह फटीं
हवा में छितरा गईं कुछ कविताएँ
अनार की तरह कुछ कविताएँ बिखरीं
ऎसा कुछ समाँ बंधा चारों ओर
कि जनता को भी सुन्दर लगी कविताएँ