भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुड़िया-3 / नीरज दइया
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:41, 22 जुलाई 2010 का अवतरण (गुड़िया-3/ नीरज दइया का नाम बदलकर गुड़िया-3 / नीरज दइया कर दिया गया है)
जिस गुड़िया से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था
उसे दिन-रात चूमना
और बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था
अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता !