Last modified on 4 अगस्त 2012, at 11:37

प्रियतम! कैसे तुम्हें समझाऊँ / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 4 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=चिन्ता / अज्ञेय }} {{KKC...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रियतम! कैसे तुम्हें समझाऊँ कि वह अहंकार नहीं है?
वह आत्म-दमन है, घोर यातना है, किन्तु वह मेरा स्त्रीत्व का अभिमान भी है, मेरे प्राणों की अभिन्नतम पीड़ा जिस के बिना मैं जी नहीं सकती!

डलहौजी, सितम्बर, 1934