Last modified on 24 नवम्बर 2011, at 12:53

सपना / अर्जुनदेव चारण

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:53, 24 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्जुनदेव चारण |संग्रह=घर तौ एक ना...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सपना
नीं राखै
परकोटां री कांण
बारै ई जलमै
पसरै,
थूं
वांनै घर में
क्यूं लावै मां
घटतौ बधतौ रैवै
आंख सूं आभै रौ
आंतरौ
कचेड़ियां करती रैवै
न्याव
भुजाळा म्है
रोड़ राखां थनै
गेडियां रै पांण
बांध देवां
बींध देवां
ठौड़-ठौड़ सूं
थूं देह धार
हर बार
गमावै माजनौ।