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घर कठै है / अर्जुनदेव चारण
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घर कठै है
आ तौ थूं है मां
गवाड़ी में
रिगदोळीजियोड़ौ पड़ियौ है
थारौ हेत,
बारणै माथै
चिपियोड़ा है थारा हाथ,
आंगणै
नीपीजयोड़ी है थारी सांस
रसोई में
रांधीजै है थारी जूंण
मैफिल सजाय
बाजोट रै ओळै दोळै
बैठां हां म्है
दुबारै री छाक लेय
उडीकां हां
जीमण नै