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आत्म हत्या / प्रमोद कुमार शर्मा

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कणाई-कणाई
आवै है विचार
कै आज कोई रै
घात‘र बांथ
मर ज्यावां।
तो
कदै-कदै लागै
इण री जरूरत ई कांई है !