भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मीणधर सरप / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:58, 26 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीलटांस / कन्हैया ल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन,
मिन्धर सरप
मेले मांझल रात
मिण अलघी,
करें बीं री जोत में
चुग्गो पाणी,
सो ज्यावे बीं खीण
म्हारी चेतना
रह ज्यावे
हाथ में ही
ज्ञान रो गोबर
जांगू'र पिसतावूं
फेर कठे मिण !