भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सै‘र (2) !/ कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:52, 18 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीलटांस / कन्हैया ल…)
सै‘र
कुंआरी सुन्याड़ सागै करयोड़ो बलात्कार
रैग्यो अणचाय पेट
जलमगी दोगळी सभ्यता
कुण पकड़ै ईं कुलनासी रो हाथ
डावड़ी बण‘र बापड़ी
करै आप रा दिन आघा !