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खड़ खेत औरूं / कन्हैया लाल सेठिया
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कांई हुसी देख्यां
हथेली री लीकां ?
जा‘र देख
काढयोड़ा ऊमरा,
कोनी गयो उंडो
हळ रो चऊ,
बिन्यां हुयां उरली
अजड़ माटी
कियां छोड़सी
बीज जड़ ?
चावै जे
उगाव जोरां
कर हथेली ऊंदी
थाम चोटियो
खड़ खेत औरूं !