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खड़ग / शिवराज भारतीय

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हिवडै़ उपज्यो
मिनख पणो क्यूं मेटो भाया
खड़गां री धारां रो धरम
समेटो भाया।

खड़ग दिराया कदैई
किणी ने रोटी पाणी
खड़ग बधाई कदैई
मानखै री जिंदगाणी
खड़ग धरम री धजा फरूकती
कदैई परौटी
खड़गां कदैई चढ़ायो किणी
धरम नै चोटी
खड़गां कदैई सनेस दिया
भाईचारै रा
खड़गां आसूं पूंछ्या कदैई
बैली प्यारै रा
खड़ग कदैई अणभण्या नै
आखर ग्यान करायो
खड़ग कदैई मीठी रागां रो
गीत सुणायो
खड़ग सुरंगी रीत-रिवाजां
कदैई निभाई
खड़ग कदैई मीरां दादू री
तान सुणाई
खड़ग कदैई
खेतां री फसलां
करी सवाई
खड़ग कदैई देख्या
विकास री नदी बवाई
खड़ग़ कदैई
जगचावो हिन्दूस्तान बणायो
खड़ग कदैई
आपांरो भारण महान बणायो
खड़ग बिसारै
राखड़ली री रीत निभाणी
खड़ग एक दूजै सूं
करड़ी मीट करावै
आसंका री घुंडी
सूत्यां नै डरपावै
बिसराओ खड़गां री
काळी कोझी छायां
खड़गां री धारां रो
धरम समेटो भाया