भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दीठ / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:26, 9 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराज भारतीय |संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भा…)
कॉलेज री
देळियां माथै चढ़गी छोरियां
पण अजै तांई
वा ही भोळप
वा ही निश्छलता
वा ही निरमळता
लखावै।
टाबरपणै री वा
वा चुलबुलाट
वा चै‘चाट
वा खिलखिलाट
अचाणचकै
मंगस पड़गी
अर
उण जिग्यां
कद आय‘र
लाज
सरम अर झीझक
भरगी।
कांई ठा
छोरियां उमर में
मोटी हुगी
कै जमानै री दीठ
छोटी हुगी।