Last modified on 6 जुलाई 2011, at 12:45

साची बात / कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:45, 6 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सूनूं आभो तकतां तकतां
आयो मेह असाढ़ उतरतां
तिरसा मरती धरती भीजीं
मोठ गुंवार बाजरी बीजी,
साव निकळग्यो सूखो सावण
भादूड़ै नै दे भोळावण,
पण कुण किण रो कारज सारै
सगळा भाजै मन रै लारै,
के कुदरत री करां बुराई ?
मिनख मिनख में आ खोटाई !