♦ रचनाकार: ईसुरी
जो तुम छैल, छला हो जाते, परे उंगरियन राते
भौं पौंछत गालन के ऊपर, कजरा देत दिखाते
घरी-घरी घूंघट खोलत में, नज़र सामने आते
'ईसुर' दूर दरस के लानें, ऎसे काए ललाते ?
जो तुम छैल, छला हो जाते, परे उंगरियन राते
भौं पौंछत गालन के ऊपर, कजरा देत दिखाते
घरी-घरी घूंघट खोलत में, नज़र सामने आते
'ईसुर' दूर दरस के लानें, ऎसे काए ललाते ?