वही त्रिलोचन है, वह-जिस के तन पर गंदे
कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे- फटे लटे हैं
यह भी फैशन है, फैशन से कटे कटे हैं.
कौन कह सकेगा इसका जीवन चंदे
पर अवलंबित है. चलना तो देखो इसका-
उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लम्बी बाहें,
सधे कदमस तेजी, वे टेढ़ी मेढ़ी राहें
मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का
ध्यान इस समय खींच रहा है. कौन बताए,
क्या हलचल है इस के रुंघे रुंधाए जी में
कभी नहीं देखा है इसको चलते धीमे.
धुन का पक्का है, जो चेते वही चिताए.
जीवन इसका जो कुछ है पथ पर बिखरा है,
तप तप कर ही भट्ठी में सोना निखरा है.