दे दो आकाश / रमा द्विवेदी
कहने को तो कुछ भी कहो,स्वीकार नहीं हमको।
हम जैसे हैं वैसे ही हैं,इन्कार नहीं हमको ॥
खामोश भी जब हम रहे,कमजोर समझा हमको |
तोडेंगे मौन अपना देंगे जवाब तुमको ।
हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥
प्रश्नों के कठघरे में घेरा है तुमने हमको ।
लेंगे हिसाब इक-इक देना पडेगा तुमको ।
हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥
पत्थर भी टूट जाए कोसा है इतना हमको |
सभ्यता का पाठ फिरसे पढ.ना पडेगा तुमको
हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ।
देखी नही जाती है सफलता हमारी तुमको ।
भारी पडी इक नारी दे दी शिकस्त तुमको ||
हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥
राज़ मुबारक तुमको,ताज़ मुबारक तुमको |
बस चाहते हैं इतना दे दो आकाश हमको ।|
हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥