इतिहास के बारे में / टोमास ट्रान्सटोमर
एक
मार्च का एक दिन
जा निकला हूँ
समुद्र तक और सुनता हूँ।
बर्फ़ इतनी नीली है, जितना कि आसमान
तड़क रही धूप में
धूप, जो बर्फ़ की पर्त के नीचे भी फुसफसा रही है
एक माइक पर खुदबुदाती, बड़बड़ाती
और लगता है दूर कहीं कोई एक चादर झटक रहा है।
यह सब इतिहासनुमा : अभी, बिल्कुल अभी।
हम निमग्न हैं, हम सुनते हैं।
दो
सम्मेलन, उड़ते द्वीपों से, जो कभी भी ढह सकते हैं...
तब फिरः एक लम्बा कँपकँपाता पुल समझौतों का
गुज़रेगा जिस पर समूचा यातायातः नक्षत्रों की छाँव में।
अजन्मे सुस्त चेहरों की छाँव में, बहिष्कृत जो
सूने अंतरिक्ष में, अनाम हिमकणों की तरह।
ग्योएटे घूम आया अफ़्रीका सन् छब्बीस में, जीद के चोले में
और देख आया सब-कुछ
तीन
कुछ चेहरे ज्यादा साफ़ हो आते हैं मरणोपरांत
देखी गई चीज़ों के कारण
जब बाँचे गए दैनिक समाचार अल्जीरिया के
प्रगट हुआ, बड़ा-सा मकान एक, जहाँ सारी खिड़कियाँ
काली पुती हुई थीं।
सिर्फ़-सिर्फ़ एक के। और वहाँ दीखा हमें ड्रेफ़स का चेहरा
चार
(अनुवाद : रमेशचंद्र शाह)