भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सवाल में बवाल / काका हाथरसी
Kavita Kosh से
D K Raghu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:15, 15 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: रिंग रोड पर मिल गए नेता जी बलवीर । कुत्ता उनके साथ था पकड़ रखी ज…)
रिंग रोड पर मिल गए नेता जी बलवीर ।
कुत्ता उनके साथ था पकड़ रखी जंजीर ॥
पकड़ रखी जंजीर अल्शेशियन था वह कुत्ता ।
नेता से दो गुना भौंकने का था बुत्ता ॥
हमने पूछा, कहो, आज कैसे हो गुमसुम ।
इस गधे को लेकर कहाँ जा रहे हो तुम ॥
नेता बोले क्रोध से करके टेढ़ी नाक ।
कुत्ता है या गधा है, फूट गईं हैं आँख ॥
फूट गईं हैं आँख, नशा करके आए हो ।
बिना बात सुबह-सुबह लड़ने आए हो ॥
हमने कहा कि कौन आपसे जूझ रहे हैं ।
यह सवाल तो हम कुत्ते से पूछ रहे हैं ॥