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01 से 10 / कन्हैया लाल सेठिया

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1.
नहीं मन्दिर में वास, नहीं मसजिद में मैं बसूं
मैं भगतां रो दास, रमतो जोगी रमणियां।

2.
काया मैळो काप, स्याबण है हरि नाम री
कर ले बिण स्यूं साफ, रजक करै ज्यूं रमणियां।

3.
साधू धारयो नाम, पण है बै बाधू असल
टुकड़ां तांई चाम, रंगै राख में रमणियां।

4.
अणहूंत झूठा फैल, निभ्या न निभसी ड़ोकरां
सदा जमानै गैल, रीत चालसी रमणियां।

5.
कायर होय अनेक, वीर भगावै एकलो
ज्यूं लाळी नै देख, रेवड़ भागै रमणियां।

6.
राखै मन में कोड, रंग भूमि समझै सदा
रण-राता राठौड़, रण खेतर नै रमणियां।

7.
जको करै धन नाद, बो बरसै माड़ो घणो
बिरथ करै बकवाद, रोळागारो रमणियां।

8.
हिम्मत रा सुख साज, हिम्मत री कीमत घणी
रींक्या दै कुण राज, रींक मती तू रमणियां ?

9.
भूतां का सा भेश, धूळ उड़ै मेदा बिन्या
इसड़ो म्हाँरो देश, रूंख बिना रो रमणियां।

10.
नहीं रोग रो लेश, मिनख निरोगा सै घणाँ
मनवारां रो देश, राजपुतानूं रमणियां।