भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गिरेड़ा / निशान्त
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:55, 9 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तिसळ’र पड़तै आदमी नै
देख’र
कइयां रै श्ीतर
चेळको बापरै
अलबत मूंडै स्यूं तो
आ ई निसरै
‘बिच्यारै रै लागी ..... श्ई ....’।