Last modified on 26 अप्रैल 2011, at 14:26

तुम भजन संभरि के गाना / ब्रजभाषा

अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:26, 26 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाषा }} <poem> गाना हो त…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गाना हो तुम भजन संभरि के गाना - २

बावन अक्षर हैं ओलम के
इनके पास मतीं जाना
तीन लोक औ चौदह भुवन हैं
तिनके पार चले जाना
इनके भीतर जो तुम आये
पकरें दोऊ काना हो
तुम भजन संभरि के गाना.....