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स्कूटर चलाती हुई लड़कियाँ / प्रदीप मिश्र
Kavita Kosh से
स्कूटर चलाती हुई लड़कियाँ
जब फर्राटे भरती हुई
गुजरतीं हैं पास से तो
लगता है जैसे
एक झोंका गुजर गया हो
मोंगरे की सुगन्ध से गमकता
स्कूटर चलानेवाली लड़कियाँ
पसन्द नहीं करतीं है किसी से पिछड़ना
वे सबको पीछे छोड़ती हुई
बहुत आगे निकल जातीं हैं
इतना आगे कि पीछे मुड़कर देखने पर
सिर्फ उनकी गति दिखाई देती है
सबको पीछे छोड़नेवाली इन लड़कियों को
महिला विमर्श के बारे में
पता है कि नहीं, पता नहीं
लेकिन वे जानती हैं कि
किस मोड़ से
कितनी गति से मुड़ना चाहिए
कब इतना चरमरा कर
ब्रेक लगाना चाहिए कि
स्कूटर के साथ-साथ
समय भी ठहर जाए
समय को लगाम की तरह पकड़ी हुई
इन लड़कियों को देखना
मेरे समय का सबसे सुन्दर दृश्य है ।