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चांदनी की उधारी / रति सक्सेना

उन सभी कदमो को
गिन कर देखूँ यदि
तुम्हारे साथ चले थे मैंने
पाँव फिर से
चलना भूल जाएँ
सड़क भूल जाए रास्ता

उन लम्हों को जोड़ कर देखूँ
बिताए थे तुम्हारे साथ
समय की धड़कन रुक जाए

उस आँच को
क्या पहचानोगे तुम
जिस में पकता रहा मेरा
अन्तस रस

तुम्हारे हर कदम
हर साथ
हर बून्द प्यार
चाँदनी की उधारी था