Last modified on 2 नवम्बर 2015, at 20:43

तू बादल बन / रामनरेश पाठक

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:43, 2 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम बादल बन.

मरू में बरसो,
मधु क्षण सिरजो,

तुम बादल बन.

खेतों में गा,
मदों पर छा,

तुम बादल बन.

तुम जीवन दो,
तुम मधुवन दो,

तुम बादल बन.

गा, गा, मुसका,
मुसका, गा, गा,

तुम पागल बन.
छंदों पर छा,
रागों में आ,

तुम रागल बन.
तुम पागल बन.
तुम बादल बन.